The baglamukhi sadhna Diaries



फूल माला (देवी की पसंद के फूल और उसकी माला)

मां बगलामुखी यंत्र चमत्कारी सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है। माहात्म्य- सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।

- अगर सक्षम हो तो ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।

मंत्र- सिद्ध करने की विधि – साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है। – अगर सक्षम हो तो ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए। – बगलामुखी यंत्र एवं इसकी संपूर्ण साधना यहां देना संभव नहीं है। किंतु आवश्‍यक मंत्र को संक्षिप्त में दिया जा रहा है ताकि जब साधक मंत्र संपन्न करें तब उसे सुविधा रहे।

मंत्र ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा

This Puja will give you a everyday living you might have only dreamed of. Identify, fame prosperity – the possessions that make lifestyle a contented one can be attained by this Puja

That day was Tuesday and Chaturdashi. She had been served by Panch Makkar’s. She created her home in profound yellow turmeric, from that mid-night time and conciliated from the petition of your God, quieted down the tempest.

रात्रि ११ बजे मंगलाचरण के साथ द्वार खोल। देवी स्तुति, गान, पश्चात अस्टोत्री पाठ कथा, जप प्रयोग, हवन सुबह ४ बज, देवी अभिषेक, वस्त्राभूषण, षोडशोपचार पूजन, ध्वज चढ़ाने के पश्चात देवी आरती।

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्

अग्निर्वै देवानां मनोता तस्मिन् हि तेषां मनांसि ओतानि !

तेन दीक्षेति हि् प्रोक्ता प्राप्ता चेत् सद्गुरोर्मुखात।।

गौर्हि देवानां मनोता तस्यां हि तेषां मनांसि ओतानि

श्रीबगला विद्या का बीज पार्थिव है-‘बीजं स्मेरत् पार्थिवम्’ तथा बीज-कोश में इसे ही website ‘प्रतिष्ठा कला’ भी कहते हैं।

Every single among the list of persons along with the divine beings appealed to Goddess Baglamukhi who hauled out the tongue in the evil presence to at present it.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *